Chhattisgarh
छत्तीसगढ़
प्राचीन काल से ही छत्तीसगढ़ धार्मिक गतिविधियों का केन्द्र रहा है । अंबिकापुर का मैनपाट , जिसे छत्तीसगढ़ का पंचमढ़ी कहा जाता है , बिलासपुर में रतनपुर का महामाया देवी मंदिर , जाँजगीर में शिवरीनारायण का लक्ष्मीनारायण मंदिर और राजनांदगाँव में डोंगरगढ़ का बम्लेश्वरी देवी का मंदिर प्राचीन काल से आस्था और संस्कृति के केन्द्र रहे हैं ।
यहाँ के लोगों की धर्म में अटूट आस्था है । यहाँ हिन्दू , मुस्लिम , सिख , ईसाई आदि सभी धर्मों के लोग निवास करते हैं । शिव , विष्णु , दुर्गा आदि देवी - देवताओं के मंदिर भी यहाँ विद्यमान हैं । वैष्णव , शैव , शक्ति तथा विविध पंथों के धर्मावलंबियों की यहाँ प्रमुखता है । कबीरपंथ को अपनाने वाले कबीरपंथी कहलाए ।
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छत्तीसगढ़ |
रायपुर जिले के दामाखेड़ा एवं कबीरधाम ग्राम में कबीरपंथियों की प्रसिद्ध गद्दी है । दामाखेड़ा कबीरपंथ अनुयायियों को विशेष प्रकार की शिक्षा संस्कार देने का केन्द्र है । मठ का प्रधान गुरु और आचार्य होता है ।मठ की व्यवस्था के लिए दीवान , कोठारी , भंडारी , पुजारी होते हैं । कबीरपंथी आंतरिक शुद्धता , पवित्रता और सदाचरण को महत्व देते हैं । इस पंथ में गुरु का स्थान विशेष रहता है । कबीरपंथ की तरह यहाँ एक और पंथ का विकास हुआ । इसे ' सतनाम पंथ ' कहा जाता है । ' सतनामी ' का अर्थ है सत्यनाम को माननेवाला और उसके अनुसार आचरण करनेवाला । ' सतनामपंथ ' सत्य और पवित्रता को महत्व देता है । ' सतनामपंथ ' के प्रवर्तक ' गुरु घासीदास जी ' माने जाते हैं जिनकी जन्मभूमि एवं तपोभूमि गिरोधपुरी ग्राम है । इन्होंने भी कबीर की तरह मूर्तिपूजा , जाति प्रथा का विरोध किया । इस पंथ के प्रमुख सिद्धांतों में सतनाम पर विश्वास , मूर्तिपूजा का खंडन , जातिभेद का बहिष्कार , मांस - मदिरा का निषेध विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।
स्थापत्य कला की दृष्टि से भी छत्तीसगढ़ का अपना वैभवपूर्ण गौरवपूर्ण इतिहास रहा है । छत्तीसगढ़ के प्राचीन मंदिर , दुर्ग , शिलालेख , राजमहल इत्यादि यहाँ की स्थापत्य कला के अनुपम उदाहरण हैं । यहाँ के प्राचीन मंदिरों का निर्माण गुप्तकाल और कलचुरीकाल में हुआ है । प्राचीन मंदिरों में राजिम स्थित राजीवलोचन मंदिर अत्यंत प्रसिद्ध है । मुख्य मंदिर विस्तृत आकार के बीच में ऊँची कुर्सी पर खड़ा है और उसके चारों ओर चार छोटे मंदिर बनाए गए हैं । गर्भगृह में भगवान विष्णु की एक चतुर्भुज प्रतिमा है । उनके हाथों में शंख , चक्र , गदा और पद्म ये चार आयुध हैं । यही प्रतिमा राजीवलोचन के नाम से प्रसिद्ध है । सिरपुर में स्थित लक्ष्मण मंदिर स्थापत्य कला की दृष्टि से छत्तीसगढ़ की धरोहर है । इसका निर्माण पांडुवंश के राज्यकाल में हुआ । कहा जाता है कि राजा शिवगुप्त की राजमाता वासटा द्वारा अपने पति की स्मृति में यह मंदिर बनवाया गया था । गर्भगृह का प्रवेश द्वार पाषाण से तथा ऊपर का शिखर पूर्णरूपेण ईंटों से बना है । बस्तर के बारसूर में शिव जी का एक मंदिर है । यह मंदिर बत्तीस खंभों पर स्थित है । इन खंभों पर सुंदर नक्काशी की गई है । खंभों पर नाग और विभिन्न देवी - देवताओं की प्रतिमाएँ उत्कीर्ण की गई हैं । बस्तर के कुटुमसर की गुफाएँ , चित्रकोट का जल - प्रपात और दंतेश्वरी देवी का मंदिर दर्शनीय हैं । कवर्धा से लगभग 16 किलोमीटर दूर जंगल में भोरमदेव का मंदिर है जो छत्तीसगढ़ का खजुराहो के नाम से विख्यात है । इस मंदिर की कला उत्कृष्ट है । मंदिर के बाहरी भाग में विभिन्न मूर्तियाँ निर्मित हैं , उनमें अंगों की भाव - भंगिमा इस प्रकार की है कि उन्हें देखकर लोग चकित और विस्मित रह जाते हैं । मुख्य द्वार के समक्ष शिवलिंग इस बात को प्रमाणित करता है कि नागवंशी शिव के उपासक थे।
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छत्तीसगढ़ |
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Danteshwari mandir Dantewada |
आइए एक बार छत्तीसगढ़ के बनने के क्रम पर नजर डाल लेते है:-
1 नवंबर सन् 2000 को छत्तीसगढ़ राज्य अस्तित्व में आया। यह 1 नवंबर, 1956 से मध्यप्रदेश का एक हिस्सा था।
1 नवंबर 1956 से पहले, यह महाकौशल क्षेत्र में शामिल होने वाले मध्य प्रांत और बरार का हिस्सा था। वर्ष 1956 में राज्यों के पुनर्गठन के समय, छत्तीसगढ़ राज्य के छह जिले, अर्थात्, सरगुजा, बिलासपुर, रायगढ़, दुर्ग, रायपुर और बस्तर, वर्तमान छत्तीसगढ़ राज्य के क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते थे।
जनवरी 1973 में, दुर्ग जिले को विभाजित किया गया और एक नया जिला राजनांदगांव बनाया गया।
मई 1998 में, सरगुजा जिले से कोरिया, बिलासपुर से कोरबा और जांजगीर-चांपा, रायगढ़ से जशपुर, रायपुर से धमतरी और महासमुंद और बस्तर से दंतेवाड़ा और कांकेर के नए जिले बनाए गए। जुलाई 1998 में, कवर्धा एक और नए जिले का गठन राजनांदगांव जिले से किया गया था और इसमें बिलासपुर जिले का कुछ हिस्सा भी शामिल था।
इस प्रकार, राज्य के निर्माण के समय छत्तीसगढ़ राज्य में 16 जिले थे।
मार्च 2003 में, राज्य सरकार द्वारा तीन जिलों- कवर्धा, दंतेवाड़ा और कांकेर का नाम बदलकर क्रमशः कबीरधाम, दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा और उत्तर बस्तर कांकेर कर दिया गया।
अप्रैल 2007 में, बस्तर जिले से एक नए जिले नारायणपुर में विभाजित किया गया और दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा से एक नया जिला बीजापुर बनाया गया। ये दोनों जिले मई 2007 में अस्तित्व में आए। इस प्रकार 2011 के अंत तक राज्य में कुल 18 जिले थे।
जनवरी 2012 में, राज्य में 9 नए जिलों का गठन किया गया था। इस प्रकार राज्य में जिलों की संख्या बढ़कर 27 हो गई। इन सभी जिलों को चार संभागों रायपुर, बिलासपुर, बस्तर और सरगुजा के माध्यम से प्रशासित किया गया है। जब 2000 में राज्य अस्तित्व में आया, तब छत्तीसगढ़ में केवल रायपुर, बिलासपुर और बस्तर डिवीजन थे।
अगस्त 2013 में दुर्ग को एक नया संभाग बनाया गया।
10 फरवरी 2020 को गौरेला पेंड्रा मरवाही नया जिला अस्तित्व में आया।
वर्ष 2022 में 5 जिले सक्ति, मोहेला मानपुर अंबागढ़चौकी, खैरागढ़ छुईखदान गंडाई, मनेन्द्रगढ़ भरतपुर चिरमिरी, सारंगढ़ बिलाईगढ़ अस्तित्व में आए।
वर्तमान में छत्तीसगढ़ में 33 जिले 5 संभाग है।
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छत्तीसगढ़ |
छत्तीसगढ़ राज्य के सभी 33 जिलों के नाम इस प्रकार हैं रायपुर , बिलासपुर , दुर्ग , राजनांदगाँव , उत्तर बस्तर कांकेर , कोरबा , कोरिया , जांजगीर - चांपा , रायगढ़ , महासमुंद , कबीरधाम , कोण्डागांव , गरियाबंद , जशपुर , दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा , धमतरी , नारायणपुर , बलरामपुर , बलौदाबाजार , बस्तर , बालोद , बीजापुर , बेमेतरा , मुंगेली , सरगुजा , सुकमा सूरजपुर, गौरेला पेंड्रा मरवाही, सक्ति, मोहेला मानपुर अंबागढ़चौकी, खैरागढ़ छुईखदान गंडाई, मनेन्द्रगढ़ भरतपुर चिरमिरी, सारंगढ़ बिलाईगढ़
छत्तीसगढ़ एक नजर में:-
प्रदेश का नाम : छत्तीसगढ़ , धान का कटोरा , हर्बल स्टेट , पॉवर स्टेट , ।
गठन : 1 नवंबर 2000
राज्य का आकार : समुद्री घोड़े के समान।
भौगोलिक विस्तारः अक्षांशीय विस्तार 17.46 " से 24.5 " उत्तरी अक्षांश
देशांतरीय विस्तार 80 ° 15 " -84.25 " पूर्वी देशांतर
कर्क रेखा की अवस्थितिः प्रदेश के चार उत्तरी जिलों - कोरिया , सूरजपुर , बलरामपुर ,मनेन्द्रगढ़ भरतपुर चिरमिरी से ।
भारतीय मानक समय रेखाः प्रदेश के सात जिलों कोरिया , सूरजपुर , सरगुजा , कोरबा , जांजगीर - चांपा , बलौदाबाजार और महासमुंद से ।
सूरजपुर जिले में कर्क रेखा और भारतीय मानक समय रेखा एक - दूसरे को काटती है।
क्षेत्रफल : 1,35,191 वर्ग कि.मी. देश के क्षेत्रफल का 4.11 प्रतिशत ।
उत्तर दक्षिण लंबाई : 700 कि.मी.
पूर्व पश्चिम लंबाई: 435 कि.मी
कुल जनसंख्या : 2,55,45,198 ( जनगणना 2011 ) जनसंख्या वृद्धि दर : 22.59 % ( जनगणना 2011 )
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