बस्तर जनजातियों की भूमि
बस्तर जिला का गठन 1948 में किया गया है। इसका जिला मुख्यालय जगदलपुर हैं। बस्तर जिला के सीमावर्ती राज्य उड़ीसा है।
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Bastar जनजातियों की भूमि |
बस्तर जिले में मुख्यतम परजा, धुरवा, मुरिया जनजाति के लोग रहते है। बस्तर जिले को जनजातियों की भूमि कहा जाता है।
प्रमुख जलप्रपात
1. चित्रकोट जलप्रपात:- इस भारत का नियाग्रा कहते हैं। ये छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी जलप्रपात हैं। चित्रकोट जलप्रपात इंद्रावती नदी पर स्थित है। इस जलप्रपात में मौसम के अनुसार पानी का रंग बदलते रहता है।
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Bastar चित्रकोट जलप्रपात |
2. तीरथगढ़ जलप्रपात:- यह मुनगाबहार नदी जो कि सबरी नदी की सहायक नदी है उस पर कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित है।
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Bastar तीरथगढ़ जलप्रपात |
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान
इसकी स्थापना सन 1982 में हुई कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल 200 वर्ग किलोमीटर है जो कि छत्तीसगढ़ प्रदेश का सबसे छोटा राष्ट्रीय उद्यान है । छत्तीसगढ़ की राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना का संरक्षण एवं संवर्धन इसी उद्यान में किया जाता है।
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कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान |
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कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान |
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भैसादरहा :- प्राकृतिक रूप से मगरमच्छ के संरक्षण के लिए प्रसिद्ध है जो कि कांगेर नदी में स्थित हैं।
कुटुमसर गुफा:- यहां अंधी मछलियां पाई जाती है तथा चूना पत्थर से निर्मित संरचना है।
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Bastar कुटुमसर गुफा |
बस्तर जिला का जिला मुख्यालय जगदलपुर है जो कि चौराहों की शहर के रूप में प्रसिद्ध है यहां स्थित दलपत सागर तलाब जो कि छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा झील है।
जगदलपुर राजमहल परिसर में दंतेश्वरी मंदिर है। जगदलपुर बस्तर का दशहरा महोत्सव है जो कि 75 दिनों तक मनाया जाता है।
वर्तमान में बस्तर जिले में सात तहसील और सात विकासखंड है और 3 विधानसभा क्षेत्र तथा एक लोकसभा क्षेत्र की सीटें हैं।
बस्तर जिले में स्थित नगरनार इस्पात संयंत्र एनएमडीसी के द्वारा संचालित है जो कि प्रमुख लौह अयस्क पर आधारित उद्योग है।
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