भारतीय इतिहास में जैन धर्म
भारतीय इतिहास में जैन धर्म का उदय समाज में एक बहुत बड़ा परिवर्तन लेकर आया। भारतीय समाज में उत्तर वैदिक काल के बाद बढ़ते हुए धार्मिक कर्मकांड तथा लोगों के बीच आध्यात्मिक असंतुष्टि के मध्य यह धर्म विकसित होने लगा। जैन धर्म की सर्वप्रथम स्थापना का श्रेय जैनियो के प्रथम तीर्थकर ऋषभदेव को जाता है। जैन धर्म को विकसित एवं संगठित करने का श्रेय वर्धमान को जाता है। (वर्धमान जो महावीर स्वामी के बचपन का नाम है )। जैन धर्म में 24 तीर्थकरो को माना जाता है। जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर ऋषभदेव या आदिनाथ थे।
ऋषभदेव/आदिनाथ-
ऋषभदेव का उल्लेख ऋग्वेद,यजुर्वेद, श्रीमद् भागवत,विष्णु पुराण,भागवत पुराण में हुआ है । ऋषभदेव जी का जन्म अयोध्या में हुआ था एवं इनकी मृत्यु कैलाश पर्वत में हुई थी।ऋषभदेव जी का प्रतीक चिन्ह सांड है। इनके दो प्रमुख पुत्र थे भरत और बाहुबली। बाहुबली की मूर्ति श्रवणबेलगोला कर्नाटक में स्थित है। गंग वंश के सेनापति चामुंड रे ने 974 ईसवी में इस मूर्ति की स्थापना की। इस मूर्ति की हर 12 वर्ष में महामस्तक अभिषेक किया जाता है।
पार्श्वनाथ:-
इनका प्रतीक चिन्ह सर्प है। पार्श्वनाथ जी का जन्म वाराणसी में हुआ था। इनके पिता वाराणसी के राजा अश्व सेन तथा माता बामा देवी थी। तीर्थंकर पार्श्वनाथ ने 30 वर्ष की आयु में घर को त्याग दिया था। काशी में 83 दिन की कठोर तपस्या करने के बाद 84 दिन में उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ था। इन्होंने शरीर का त्याग पारसनाथ पर्वत पर किया (वर्तमान झारखंड) ।
महावीर स्वामी:-
यह जैन धर्म के 24 वे तीर्थंकर एवं जैन धर्म के वास्तविक संस्थापक थे। इनका जन्म 540 ईसवी पूर्व कुंडग्राम बिहार में हुआ था। इनके पिता सिद्धार्थ वज्जी संघ के ज्ञात्रीक कुल के तथा इनकी माता त्रिशला लिच्छवी वंश के शासक चेटक की बहन थी। इनके दामाद जमाली, प्रथम शिष्य एवं प्रथम विरोधी थे। महावीर स्वामी के बचपन का नाम वर्धमान था। इन्हें जृंभिक गांव ऋजुपालिका नदी के तट पर साल वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई ।
इन्होंने प्रथम उपदेश राजगृह मे (बितुलाचल पर्वत पर बैठ कर) दिया। इनका निर्वाण पावापुरी (राजगृह) में मल्ल गणराज्य के प्रधान सिस्तपाल के यहां 468 ईसवी पूर्व में हुआ था।
जैन संघ:-
महावीर स्वामी ने पावापुरी में जैन सघं की स्थापना की जिसमें 11 अनुयाई थे जिन्हें गणधर कहा गया। संघ के प्रथम अध्यक्ष महावीर स्वामी, दूसरे सुधर्मन, तीसरे जम्बुस्वामी अंतिम केंब्लिन थे। महावीर स्वामी के समय जैन धर्म का सार्वधिक प्रचार हुआ। महावीर स्वामी के समकालीन शासक बिंबिसार, अजातशत्रु, उदायिन, चेतक आदि थे। यह सभी जैन धर्म के अनुयाई थे। मौर्य वंश के शासक चंद्रगुप्त मौर्य भी जैन धर्म का अनुयाई था। कलिंग नरेश खारवेल भी जैन धर्म का अनुयाई था। खारवेल ने उदयगिरि में जैन भिक्षुओ के लिए एक गुफा का निर्माण कराया।
जैन धर्म के त्रिरत्न:-
1.सम्यक ज्ञान- जिसका अर्थ है, वास्तविक ज्ञान
2.सम्यक दर्शन-जिसका अर्थ है जैन तीर्थकरो तथा उनके उपदेशो में दृढ़ आस्था तथा श्रद्धा रखना। सत्य में विश्वास रखना।
3.सम्यक चरित्र -सांसारिक विषयों से उत्पन्न सुख-दुख के प्रति समभाव सम्यक आचरण है।
जैन धर्म के अनुसार त्रिरत्नों का पालन करके व्यक्ति जन्म मरण के बंधन से मुक्त हो सकता है अर्थात मोक्ष प्राप्ति कर सकता है।
जैन धर्म के पंच महाव्रत:-
1.अहिंसा- जीव की हिंसा ना करना।
2.सत्य- सदा सत्य बोलना।
3.अपरिग्रह - संपत्ति एकत्रित नहीं करना।
4. अस्तेय- चोरी न करना ।
(यह चारों पार्श्वनाथ जी द्वारा संचालित है) ।
5.ब्रम्हचर्य- स्त्री से संपर्क ना बनाना। (महावीर स्वामी ने इस कथन को जोड़ा) ।
जैन सभाएं:-
(महावीर स्वामी की शिक्षाओं को संकलित करने के लिए)
1. प्रथम जैन संगीति - पाटलिपुत्र में लगभग 300 ईसा पूर्व पहले हुआ था इसके अध्यक्ष स्थूलभद्र थे। इस सम्मेलन में जैन धर्म दो संप्रदाय में बांटा गया - 1.दिगंबर 2.श्वेतांबर (चंद्रगुप्त मौर्य केे समकालीन )
श्वेतांबर- जो सफेद वस्त्र धारण करने वाले थे (स्थूलभद्र के साथ)
दिगंबर - यह बिना वस्त्र वाले धारण करने वाले (भद्रबाहु के साथ )
2.द्वितीय जैन संगीति- वल्लवी (गुजरात) में 512 ईसा में (800 वर्ष बाद) हुआ था। इसके अध्यक्ष देवर्धिगण थे।
भारतीय इतिहास में बौद्ध धर्म
बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध थे जिनका बचपन का नाम सिद्धार्थ था, जो बाद में "बुद्ध" के रूप में जाने गए, 563 ईसा पूर्व के दौरान उनका जन्म हुआ। गौतम का जन्म वर्तमान नेपाल के लुंबिनी में एक राजकुमार के रूप में एक धनी परिवार में हुआ था। इनके पिता जी का नाम शुद्धोधन था तथा इनकी माता का नाम महामाया। इनका विवाह यशोधरा से हुआ तथा विवाह के उपरांत उनका एक पुत्र हुआ जिसका नाम राहुल था।
उनका जीवन आसान था, लेकिन गौतमबुद्ध दुनिया में दुख-तकलीफों से प्रभावित थे। उन्होंने अपनी भव्य जीवन शैली को छोड़ने और गरीबी को सहने का फैसला किया। गौतम बुद्ध ने अपने बड़े भाई की आज्ञा पाकर अपना घर त्याग कर दिया इस घटना को महाभिनिष्क्रमण कहते हैं।
महात्मा बुद्ध |
गौतम बुद्ध की मृत्यु के उपरांत भारत में हुए विभिन्न बौद्ध संगीतियां :-
जैन धर्म तथा बौद्ध धर्म में समानताएं :-
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