छत्तीसगढ़ का रामायण कालीन इतिहास। छत्तीसगढ़ में राम वनगमन पथ

 छत्तीसगढ़ का रामायण कालीन इतिहास

छत्तीसगढ़ का गौरवशाली इतिहास रामायण काल से अछूता नहीं रहा है । छत्तीसगढ़ में विभिन्न ऐसे स्थल है जोकि रामायण काल से संबंधित है । रामायण काल में छत्तीसगढ़ का नाम दक्षिण कौशल था उस समय यहां की भाषा कोसली हुआ करती थी रामायण काल में छत्तीसगढ़ के बस्तर वाले भाग का नाम दंडकारण्य था।

दंडकारण्य रामायण के अनुसार भगवान राम ने अपने वनवास काल के कुल 14 वर्षों में से 10 वर्ष की समय अवधि यहीं व्यतीत किया था । जनश्रुति के अनुसार माता कौशल्या का जन्म स्थान रायपुर के चंदखुरी को माना जाता है । माता कौशल्या का विवाह राजा दशरथ से हुआ था चूंकि माता कौशल्या के भाई नहीं थे अतः महाराज भानुमंत् का कोई पुत्र ना होने के कारण यह क्षेत्र राजा दशरथ को मिल गया था।

छत्तीसगढ़ में राम वनगमन पथ
छत्तीसगढ़ में राम वनगमन पथ


छत्तीसगढ़ में राम वनगमन पथ

जनश्रुति के अनुसार भगवान राम वनवास काल के दौरान छत्तीसगढ़ के लगभग 75 स्थानों पर रुके थे जिनमें से 51 स्थलों को छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा प्रमाणित किया गया है तथा इन स्थलों सरकार द्वारा विकसित किए जाने का प्रयास किया जा रहा है जिससे छत्तीसगढ़ राज्य के पर्यटन को देश तथा विदेशों में बढ़ावा मिल सके तथा यहां के गौरवशाली इतिहास को संरक्षित किया जा सके।

छत्तीसगढ़ में राम वनगमन पथ

1.कोरिया :- माना जाता है कि छत्तीसगढ़ में भगवान राम का प्रवेश कोरिया जिले से हुआ था जहां सीतामढ़ी हर चौका सीतामढ़ी घाघरा जैसे स्थानों पर श्रीराम रूके हुए थे।

2. सरगुजा :- सरगुजा जिले में रामगढ़ की पहाड़ी में सीताबेंगरा, हाथी गुफा तथा लक्ष्मण बेंगरा जैसे स्थान भगवान राम से संबंधित है।

3. रायगढ़ :- रायगढ़ जिला मानव सभ्यता के इतिहास का बहुत ही पुराना साक्ष्य अपने साथ लिया हुआ है यहां पर पाषाण कालीन सभ्यता के अवशेष तथा शैलचित्र प्राप्त हुए है तो यहां का इतिहास रामायण काल से कैसे अछूता रह सकता है रायगढ़ में स्थित रामझरना रामायण कालीन इतिहास से संबंधित है जनश्रुति के अनुसार जब माता सीता को प्यास लगी थी तब भगवान श्रीराम ने अपने धनुष बाण से इस झरने का निर्माण किया था।

4. जांजगीर चांपा :- रामायण में माता शबरी और भगवान श्रीराम का सुंदर प्रसंग वर्णित किया गया है। कहा जाता है कि माता शबरी ने भगवान श्रीराम को जूठे बेर शिवरीनारायण नामक स्थान पर खिलाये थे।

5. बलौदाबाजार :- बलौदाबाजार के बारनवापारा अभ्यारण में महर्षि वाल्मीकि ऋषि का आश्रम है जोकिं तुरतुरिया नामक स्थान से संबंधित है। श्री राम कथा के अनुसार यहीं पर लव और कुश का जन्म हुआ था।

6. अन्य प्रमुख स्थल :- चंदखुरी रायपुर, सिहावा पर्वत धमतरी, पंचवटी कांकेर, बारसूर दंतेवाड़ा, मल्हार बिलासपुर, सिरपुर महासमुंद , रामाराम सुकुमा इत्यादि।


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