छत्तीसगढ़ पर्यटन प्राकृतिक विरासत और दर्शनीय स्थल
सरगुजा संभाग (उत्तरीय क्षेत्र ) के पर्यटन स्थल
डीपाडीह- यह पर्यटन स्थल कुसमी तहसील का एक थालगली गांव का है जो सरगुजा जिले के पूर्व में स्थित है । यह स्थान चारों ओर पहाड़ियों से घिरा हुआ है । डीपाडीह का शाब्दिक अर्थ देव स्थान होता है । जहाँ निरंतर दीप जलता रहता है । इनमें से अधिकांश स्थानों पर शिव मंदिर स्थापित है ।
देवगढ़ की पहाड़ी- सरगुजा जिले के एक गांव में रिहंद नदी के किनारे देवगढ़ की पहाड़ी स्थित है । यहाँ के आसपास का प्राकृतिक दृश्य बड़ा ही मनोरम है । यह पर्यटन स्थल सरगुजा से 40 कि.मी. की दूरी पर स्थित है । इस स्थल को देवरिया भी कहा जाता है । ऐसी मान्यता है कि इसके आसपास बड़ी संख्या में देवी - देवताओं की मूर्तियाँ बिखरी हुई दिखाई देती है ।
रामगढ़ की पहाड़ी- यह पर्यटन स्थल सरगुजा जिले में स्थित है । ऐसी मान्यता है कि भगवान राम ने अपने वनवास के 14 वर्ष के समय माता सीता व लक्ष्मण के साथ यहाँ रूके थे । इस पहाड़ी में महान कवि कालीदास ने यहाँ रहकर मेघदूतम की रचना की ।
सीताबेंगरा की गुफा- यह विश्व का प्राचीनतम नाट्यशाला है , वनवास के दौरान भगवान राम , सीता , व लक्ष्मण ने अपना समय यहाँ व्यतीत किया था इस कारण इस गुफा को सीताबेंगरा गुफा के नाम से जाना जाता है । यहाँ नाट्यशाला का निर्माण पत्थरों को काटकर किया गया है । यह गुफा 14 मीटर लम्बा , 4.2 मीटर चौड़ा तथा 2 मीटर ऊँचा है । गुफा के अंतर चट्टानों को काटकर बनाई गई मानवीय आकृति हृदय को आलोकित करते हैं ।
जोगीमारा गुफा- यह गुफा सीताबेंगरा गुफा से कुछ ही दूरी पर स्थित होने के कारण जोगीमारा गुफा के नाम से जाना जाता है । यह स्थान सुतनुका नामक देवदासी वरूण देव को समर्पित थी । सीताबेंगरा में नृत्य करने वाली नृत्यांगनाओं के विश्राम के लिये इसे बनाया गया था ।
रावण दरवाजा- यह दरवाजा विशाल पत्थरों को तराश कर बनाया हुआ है । जिसे सिंह दरवाजा के नाम से भी जानते हैं । इसके अंदर रावण , कुंभकरण कुछ नाचती हुई नृत्यांगनाओं की तथा सीताजी एवं हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित की गई है ।
महेशपुर- रेणुका नदी के तट पर महेशपुर है । जहाँ 12 मंदिरों का अवशेष प्राप्त हुआ है जो मुख्यतः शिव एवं विष्णु भगवान की है । इसके अतिरिक्त इस स्थान पर बुद्ध , सरस्वती , गणेश , कुबेर इत्यादि की मुर्तियों प्राप्त हुई है ।
मैनपाट - मैनपाट छत्तीसगढ़ का एक अत्यंत शीतल स्थान है जो क सरगुजा जिले के मुख्यालय से 75 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है। छत्तीसगढ़ राज्य का सबसे ठंडा स्थान होने के कारण मैनपाट को छत्तीसगढ़ का शिमला भी कहा जाता है। मैनपाट प्राकृतिक संपदा संयुक्त एक बहुत ही आकर्षक जगह है । यहां पर स्थित सरभंजा जलप्रपात, टाइगर प्वाइंट तथा मछली प्वाइंट प्रमुख आकर्षण केंद्र हैं।
तातापानी- छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगभग 418 किमी दूर बलरामपुर के तातापानी में अपने आप गर्म पानी उगलती है । यह पानी इतना गरम होता है कि इसमें अंडे तक उबल जाते हैं और लापरवाही बरतने पर हाथ जलने का खतरा बना रहता है । यह जगह पर्यटन स्थल के तौर पर धीरे - धीरे मशहूर हो रही है । सरकार यहां पावर प्लांट लगाने का प्लान कर रही है । यहां पानी इतना गर्म होता है कि उससे भाप निकलता रहता है और पानी से अंडा उबाले हुए पानी जैसी गंध आती है । लोगों के मुताबिक इस पानी को ठंडा कर नहाने से स्किन प्रोब्लम ठीक हो जाते हैं । दूर - दराज से लोग इसके लिए यहां नहाने पहुंचते हैं । यहां पांच साल पहले एक बोरवेल करवाया गया था । 320 फीट ही बोर हो पाया था कि प्रेशर के साथ गर्म पानी निकालना शुरू हुआ । जिसके बाद बोर करना बीच में ही बंद करना पड़ा । यहां जगह - जगह निकल रहे पानी को ठंडा करने के लिए कुऐं बनवाए गए हैं । पानी के ठंडे होने के बाद लोग इसका इस्तेमाल करते हैं । इसके बाद पानी नदी में बह जाता है ।
टिनटिनी पथरा- यह एक विशाल चट्टान है जिसका भार 200 कि.ग्रा . होगा । जब इस चट्टान को किसी ठोस वस्तु से बजाया जाता है तो इस चट्टान से धात्विक आवाज निकलकर गुंजने लगती है । इस पत्थर के अलग - अलग भागों से अलग - अलग आवाज सुनाई देती है ।
पवई जलप्रपात- यह जलप्रपात सालभर अपने साथ जल प्रवाहित करती है । यह जलप्रपात रामानुजगंज ब्लॉक में स्थित है ।
केन्दई जलप्रपात- यह जलप्रपात अंबिकापुर , बिलासपुर मार्ग पर स्थित है । यह एक प्राकृतिक जलप्रपात है जो केन्दई गांव में स्थित है । यहाँ एक पहाड़ी में नदी लगभग 66 मीटर की ऊँचाई से गिरकर जल प्रपात का निर्माण करती है ।
अमृतधारा जलप्रपात- अमृतधारा जल प्रपात छत्तीसगढ़ राज्य के कोरिया जिले में स्थित है । सम्पूर्ण भारत में कोरिया को प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है । इस जिले को प्रकृति ने अपनी अमूल्य निधियों से सजाया और सँवारा है । यहाँ प्राकृतिक मनोरम के दृश्य बिखरे पड़े हैं । इन्हीं में से एक ' अमृतधारा जल प्रपात है , जो कि हसदो नदी पर स्थित है । कोरिया जिला पूरे घने जंगलों , पहाड़ों , नदियों और झरनों से भरा पड़ा है । अमृतधारा प्रपात कोरिया में सबसे प्रसिद्ध प्रपातों मे से एक है । छत्तीसगढ़ में कोरिया भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान एक रियासत थे । अमृतधारा जल प्रपात एक प्राकृतिक झरना है । शिव मंदिर अमृतधारा जलप्रपात एक बहुत ही शुभ शिव मंदिर के लिए प्रसिद्ध है । इस जगह के आस - पास एक बहुत प्रसिद्ध मेला हर साल आयोजित किय जाता है ।
रामदा जलप्रपात - रामदा जलप्रपात बैकुंठपुर से 160 कि.मी. की दूरी पर रामदा स्थान पर बनास नदी पर स्थित है । इस जल प्रपात की ऊँचाई 100 मी . है । यह भंवरपुर गांव के पास स्थित है ।
अकुरीनाला जलप्रपात- यह जलप्रपात कोरिया जिले के बैकुंठपुर से 65 कि.मी. की दूरी पर अंकुनीनाला पर स्थित है । यह स्थान गर्मी के दिनों में बहुत ही ठण्डा रहता है । यहाँ पर्यटकों के आवागमन के लिये राज्य शासन द्वारा विश्रामगृह का निर्माण किया गया है ।
रानीदाह जलप्रपात- यह जशपुर से 19 कि.मी. की दूरी पर स्थित है । यह पर्वत एवं वनों के मध्य स्थित होने के कारण काफी सुन्दर है । ऐसी मान्यता है कि संबलपुर के राजा की पुत्री ने इस जलप्रपात में कुदकर आत्महत्या कर ली थी । इस कारण इसे रानीदाह जलप्रपात के नाम से जाना जाता है ।
कुनकुरी कैथोलिक चर्च- यह चर्च एशिया का दूसरा सबसे बड़ा कैथोलिक चर्च है । यह जशपुर नगर से 45 कि.मी. की दूरी पर कुनकुरी तहसील पर स्थित है । इसे देखने के लिये विश्वभर से लोग आते हैं । यह चर्च 7 खंभों से स्थापित किया गया है । इसमें 7 आर्क हैं जो पवित्रता का प्रतीक है ।
बगीचा- यह प्राकृतिक सौन्दर्य से भरा हुआ नाशपत्ती , लिची और आम का विशाल बगीचा होने के कारण इसका नाम बगीचा पड़ा । यहाँ अनेक बागवानी फसलें होने के कारण इस स्थान का नाम बगीचा पड़ा जो कि जशपुर से 112 कि . मी . की दूरी पर स्थित है ।
कैलाश गुफा- यह जशपुर के बगीचा तहसील से 10 कि.मी. की दूरी पर सामरबार नामक स्थान में स्थित है । जहाँ पर प्राकृतिक वनों के बीच कैलाश गुफा स्थित है । इसे परम पूज्य संत रामेश्वर गहिरा गुरु जी ने पहाड़ी चट्टानों को तराश कर निर्मित करवाया है । इस स्थान पर शिव पार्वती जी का मंदिर है । महाशिवरात्रि के पर्व पर यहाँ बड़े मेले का आयोजन किया जाता है ।
खुड़ियारानी गुफा- यह जशपुर नगर का एक ऐतिहासिक स्थल है यह बगीचा तहसील से 17 कि.मी. की दूरी पर स्थित है । इसके एक किनारे पहाड़ तथा दूसरे किनारे पर खुड़िया देवी का मंदिर स्थित है ।
सर्प पार्क- जशपुर जिले के तपकरा नामक स्थान नागलोक के नाम से प्राचीन समय से जाना जाता है । यहाँ विभिन्न प्रकार के जहरीले सर्प रहते हैं । छ.ग. शासन द्वारा इस क्षेत्र को सर्प पार्क के रूप में विकसित करने की योजना बनाई गई है । तथा शासन द्वारा यहाँ के लोगों को ज़हर निकालने तथा ज़हर के माध्यम से सर्प रोधक दवा बनाने के लिये प्रशिक्षण दिया जा रहा है । । तपकरा- जशपुर का फरसाबहार , पत्थलगांव , बगीचा और कांसाबेल का इलाका भुरभुरी मिट्टी और गर्म हालात के चलते जहरीले सांपों के लिए बेहद उपयुक्त हैं।
यहां पाए जाने वाले जहरीले सांपों की वजह से हर साल सैकड़ों लोग मौत के मुंह में समा जाते हैं । पूरे इलाके को नागलोक के नाम से जाना जाता है । जहरीले सांपों के डंसने की वजह से जशपुर जिले में वर्ष 2005 से लेकर मई 2017 तक कुल 425 लोगों की मौत हो चुकी है । सांप काटने से मरने वाले लोगों में सबसे अधिक संख्या जशपुर विकासखण्ड से है । नांचल क्षेत्र जशपुर और उसके आसपास के इलाकों में करैत और नाग जैसे बेहद जहरीले सांप पाए जाते हैं । इन सांपों की अधिकता की वजह से पूरे इलाके को नागलोक कहा जाता है । सबसे अधिक जहरीले सांप फरसाबहार और तपकरा क्षेत्र में ही पाए जाते हैं । हालांकि सांपों के रेस्क्यू के लिए गठित की गई ग्रीन नेचर वेलफेयर सोसायटी के सदस्यों का कहना है कि जहरीले सांप पूरे जशपुर क्षेत्र में फैले हुए हैं । सर्पदंश की बढ़ती घटना को देखकर जिले के लगभग सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में एंटी स्नैक वेनम की सुविधा उपलब्ध तो है , फिर भी ग्रामीणों में झाडफूंक का अंधविश्वास हावी है ।
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