Chhattisgarh Ecotourism
भारतीय राज्य छत्तीसगढ़ अपनी खूबसूरत प्राकृतिक परिदृश्य, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और अद्वितीय आदिवासी आबादी के लिए प्रसिद्ध है। वनों के तहत अपने कुल क्षेत्रफल का 43.9% से अधिक के साथ, छत्तीसगढ़ भारत के सबसे हरे भरे राज्यों में से एक है।
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Chhattisgarh Ecotourism |
छत्तीसगढ़ क्षेत्र को जैविक विविधता के एक महान भंडार के रूप में जाना जाता है। समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और जैविक विविधता का अनूठा संयोजन छत्तीसगढ़ को विकास के क्षेत्र में विकास की असीम संभावनाओं के साथ एक आदर्श ईकोटूरिज्म गंतव्य बनाता है।
छत्तीसगढ़ में जैविक विविधता के महत्व को बनाए रखते हुए तथा वन्य जीवों के संरक्षण हेतु विभिन्न प्रकार के राष्ट्रीय उद्यान तथा वन्यजीव अभ्यारण्य बनाए गए हैं। वर्तमान में छत्तीसगढ़ में एशिया का सबसे बड़ा मानव निर्मित जंगल सफारी बनाया गया है।
राष्ट्रीय उद्यान ( National Park )
केन्द्र स्तर पर वन्य जीवों के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना की जाती हैं। राष्ट्रीय उद्यान में वन्य जीवों के संवर्धन के लिए अनुकूल प्राकृतिक वातावरण उपलब्ध होता है। वर्तमान में छ.ग. में 3 राष्ट्रीय उद्यान स्थापित है
1. इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान ( Indravati National Park ) - 1978
यह छ.ग. का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान है। जो की बीजापुर में 1258 वर्ग k.m कोर क्षेत्र ( कुल क्षेत्र 2799 वर्ग k.m) की क्षेत्रफल का है इस राष्ट्रीय उद्यान के मध्य में इंद्रावती नदी प्रवाहित होती है । राज्य का एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान जिसे प्रोजेक्ट टाईगर ( 1983 ) घोषित किया गया है। प्रदेश सरकार ने 2009 में यहां टाइगर रिजर्व लागू किया ।
2. गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान ( Guru Ghasidas National Park ) -- 1981
इसका पुराना नाम संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान हैं जो कि कोरिया व सूरजपुर के 1441 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैला हुआ है । नीलगाय , बाघ , तेंदुआ , सांभर आदि मौजूद हैं। क्षेत्रफल की दृष्टि से छ.ग. का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है ।
3. कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान ( Kanger Valley National Park ) - 1982
यह बस्तर में 200 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैला हुआ है जिसमे . प्रमुख रूप से पहाड़ी मैना , उड़न गिलहरी, मगरमच्छ पाए जाते हैं। यह राज्य का सबसे छोटा राष्ट्रीय उद्यान है।
वन्यजीव अभ्यारण्य ( Wildlife Sanctuary )
सरकार द्वारा छत्तीसगढ में कुल 11 अभ्यारण्य बनाए गए हैं जिसके बारें में संक्षिप्त विवरण दिया गया है :-
1. तमोरपिंगला अभ्यारण्य ( Tamorpingla wildlife Sanctuary )
जिला - सूरजपुर
स्थापना -1978
क्षेत्रफल - 808 वर्ग किमी
• सर्वाधिक मात्रा में नीलगाय पाई जाती है । यह छ.ग. राज्य में क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा अभ्यारण्य है ।
2. सेमरसोत अभ्यारण्य ( Semarsot wildlife Sanctuary )
जिला - बलरामपुर
स्थापना - 1978
क्षेत्रफल - 430 वर्ग किमी
• सर्वाधिक मात्रा में नीलगाय पाई जाती है ।
3. बादलखोल अभ्यारण्य ( Badalkhol wildlife Sanctuary )
जिला - जशपुर
स्थापना - 1975
क्षेत्रफल - 105 वर्ग किमी
यह छ.ग. का सबसे छोटा अभ्यारण्य है ।
4. गोमरदा अभ्यारण्य ( Gomarada wildlife Sanctuary )
जिला - रायगढ़
स्थापना - 1975
क्षेत्रफल 278 वर्ग किमी
यहां सोनकुत्ता पाया जाता है ।
5. बारनवापारा अभ्यारण्य (Barnawapara wildlife Sanctuary )
जिला - महासमुंद
स्थापना - 1976
क्षेत्रफल - 245 वर्ग किमी
यहां शाकाहारी जानवर पाए जाते हैं । साथ ही सर्वाधिक सर्प पाये जाते हैं ।
6. उदन्ती अभ्यारण्य ( Udanti wildlife Sanctuary )
जिला - गरियाबंद
स्थापना - 1983
क्षेत्रफल - 230 वर्ग किमी
यहां सर्वाधिक मात्रा में वनभैंसे एवं मोर पाए जाते हैं ।
7. सीतानदी अभ्यारण्य ( Sitanadi wildlife Sanctuary )
जिला - धमतरी
स्थापना - 1974
क्षेत्रफल - 559 वर्ग किमी
सबसे प्राचीन अभ्यारण्य है । 2009 से टाइगर रिजर्व में शामिल किया गया है । सर्वाधिक मात्रा में तेंदुए पाये जाते हैं ।
8. अचानकमार अभ्यारण्य ( Achanakmar wildlife Sanctuary )
जिला - मुंगेली
स्थापना - 1975
क्षेत्रफल - 552 वर्ग किमी
अचानकमार अभ्यारण्य देश का 14 वां बायोस्फीयर रिजर्व है ( 2005 में ) । सर्वाधिक मात्रा में बाघ पाये जाते हैं ।
9.भोरमदेव अभ्यारण्य (Bhoramdev wildlife Sanctuary )
जिला - कवर्धा
स्थापना - 2001
क्षेत्रफल - 165 वर्ग किमी
छ.ग. का सबसे नवीनतम ( Newest ) अभ्यारण्य है ।
10. भैरमगढ़ अभ्यारण्य ( Bhairamgarh wildlife Sanctuary )
जिला - बीजापुर
स्थापना - 1983
क्षेत्रफल - 139 वर्ग किमी
11. पामेड़ अभ्यारण्य ( Pamed wildlife Sanctuary )
जिला - बीजापुर
स्थापना - 1983
क्षेत्रफल - 262 वर्ग किमी
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