भारतीय संविधान की प्रस्तावना। sanvidhan ki prastavana

भारतीय संविधान की प्रस्तावना जवाहरलाल नेहरू द्वारा शुरू किए गए 'उद्देश्य संकल्प' पर आधारित है। प्रस्तावना को पहले अमेरिकी संविधान में शामिल किया गया था, जिसके बाद कई देशों ने इसे अपनाया है। संविधान विशेषज्ञ नानी पालकीवाला ने संविधान की प्रस्तावना को संविधान का परिचय पत्र कहा है।

भारतीय संविधान की प्रस्तावना
भारतीय संविधान की प्रस्तावना



भारतीय संविधान की प्रस्तावना

हम , भारत के लोग , भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व - संपन्न समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए , 

तथा उसके समस्त नागरिकों को  सामाजिक , आर्थिक और राजनैतिक न्याय

विचार , अभिव्यक्ति , विश्वास , धर्म और उपासना की स्वतंत्रता , प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए , 

तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए

दृढ़संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवम्बर , 1949 ई 0 ( मिति मार्गशीर्ष शुक्ला सप्तमी , संवत् दो हजार छह विक्रमी ) को एतद्द्वारा इस संविधान को अंगीकृत , अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं ।


प्रस्तावना संविधान के परिचय अथवा भूमिका को कहा जाता हैं इसमें संविधान का सार होता है । एक प्रकार से यह  संविधान का परिचय पत्र होता है । इससे संविधान के उद्देश्य का पता चलता है । 

भारतीय संविधान की प्रस्तावना निम्न बातें बताती है -

 प्रस्तावना संविधान के अधिकार का स्त्रोत भारत के लोगो ( हम भारत के लोग ) को बताती है । 

प्रस्तावना से भारत की प्रकृति का पता चलता है । इसके अनुसार भारत एक संप्रभु, समाजवादी , धर्म निरपेक्ष लोकतांत्रिक व गणतांत्रिक राजव्यवस्था वाला देश है ।

प्रस्तावना से संविधान के उद्देश्य का पता चलता है । इसके अनुसार न्याय , स्वतन्त्रता समता व बंधुत्व संविधान के उद्देश्य

प्रस्तावना में उल्लेखित मुख्य शब्दों का क्रम - प्रभुत्व सम्पन्न , समाजवादी , धर्म निरपेक्ष , लोकतांत्रिक गणराज्य , एकता और अखण्डता , बंधुत्व । 

संप्रभुता का आशय - भारत अपने आंतरिक अथवा बाहरी मामलो के निस्तारण के लिए पूर्ण  है । यह न तो किसी अन्य देश पर निर्भर है और न किसी अन्य देश का डोमिनियन ( उपनिवेश के रूप में अन्य किसी देश के शासन पर निर्भरता ) हैं ।

समाजवादी -  42 वे संशोधन दारा [ 1976J , शामिल किया 

प्रस्तावना में जिस समाजवाद का जिक्र किया गया है , वह लोकतांत्रिक समाजवाद है न कि ' साम्यवादी समाजवाद । लोकतांत्रिक समाजवाद मिश्रित अर्थव्यवस्थाा हैं जिसमेंंं सरकारी  के साथ - सााथ निजी क्षेत्र मौजूद रहते हैं । 

सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार- लोकतांत्रिक समाजवाद का उद्देश्य गरीबी , उपेक्षा , बीमारी व अवसर की असमानता को समाप्त करना है । " साम्यवादी समाजवाद सभी साधनों का राष्ट्रीयकरण और निजी संपत्ति का उन्मूलन कर दिया जाता । जरूरत के अनुसार सरकार साधनों का वितरण लोगो में करती है ।

धर्मनिरपेक्ष → भारतीय संविधान में धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार ( art . 25-28 ) का प्रावधान है । इसी को ध्यान में रखकर 42 वे संविधान संशोधन ( 1976 ) द्वारा ' धर्म निरपेक्ष'  प्रस्ताावना में जोड़ा गया । हमारे देश में सभी धर्म समान है और उन्हें सरकार का समान समर्थन हैैं।

धर्मनिरपेक्ष का वास्तविक अर्थ - किसी धर्म का न होना भारत राज्य का कोई धर्म नही होगा । भारत लोग स्वेच्छा से कोई भी धर्म स्वीकार कर सकते हैं ।

लोकतांत्रिक राजव्यवस्था

एक लोकतांत्रिक राजव्यवस्था को दो भागों में बाँटा जा सकता है राजशाही और गणतंत्र । 

राजशाही व्यवस्था में राज्य का प्रमुख ( आमतौर पर राजा या रानी उत्तराधिकारिता के माध्यम से पद पर आसीन होता जैसा कि ब्रिटेन में । 

वहीं गणतंत्र में राज्य प्रमुख हमेशा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से एक निश्चित समय के लिए चुनकर आता है । जैसे - अमेरिका का राष्ट्रपति

भारतीय संविधान की प्रस्तावना में गणतंत्र का अर्थ यह है कि भारत का प्रमुख  राष्ट्रपति चुनाव के जरिए सत्ता में आता है  गणतंत्र की विशेषता, राजनैतिक संप्रभुता किसी व्यक्ति से राजा के हाथों में न होने की बजाय लोगो के हाथों में होती है । किसी भी विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग की अनुपस्थिति होती है । इसीलिए गणराज्य में हर सार्वाजनिक कार्यालय बगैर किसी भेदभाव के प्रत्येक  नागरिक के लिए खुला रहता है । 

न्याय 

प्रस्तावना में सामाजिक न्याय , आर्थिक न्याय और राजनीतिक न्याय को शामिल किया गया । न्याय है इन तत्वो को 1917 की  रूसी कांति से लिया गया है।

सामाजिक न्याय हर व्यक्ति के साथ जाति , रंग , धर्म , लिंग के आधार पर बिना भेदभाव किस समान व्यवहार ।

आर्थिक आर्थिक कारणों के आधार पर किसी व्यक्ति से भेदभाव नहीं किया जाएगा । 

राजनीतिक न्याय - हर व्यक्ति को समान राजनीतिक अधिकार प्राप्त हैं ।

समता

भारतीय संविधान की प्रस्तावना हर नागरिक को 3 प्रकार की समता , नागरिक समता ( अनु- 14,15,16 के माध्यम से )  राजनीतिक समता (अनु 325 , 326 ) तथा आर्थिक समता ( अनु . 39 माध्यम से ) को सुनिश्चित करता है।

बंधुत्व

 बंधुत्व का अर्थ भाईचारे की भावना । संविधान एकल नागरिकता के माध्यम से भाईचारे की भावना का प्रोत्साहित करता है।

प्रस्तावना बंधुत्व में व्यक्ति का सम्मान और देश को सुनिश्चित करने पर जोर देती हैं । हमारी प्रस्तावना में स्वतंत्रता , समता और बंधुत्व के भाव फ्रास की क्रांति  से लिया गया । 

एकता और अखण्डता - संविधान संशोधन ( 1976 ) द्वारा प्रस्तावना में समाजवादी , धर्मनिरपेक्ष और अखण्डता शब्द सम्मिलित किए।

प्रस्तावना का महत्व 

प्रस्तावना में उस आधारभूत  राजनीतिक , धार्मिक व नैतिक मूल्यों का उल्लेख है जो हमारे संविधान है आधार है । इसमें संविधान सभा की महान और आदर्श सोच उल्लेखित है । 

 संविधान सभा ने प्रस्तावना को संविधान की आत्मा माना है । भारतीय संविधान में प्रस्तावना को अंत में शामिल किया गया था । 


यदि आप किसी सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं तो उसकी जानकारी के लिए हमें विजिट करें तथा किसी भी प्रकार की पुस्तक डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कीजिए।



आपके सुझाव एवं सलाह हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं कृपया हमें कमेंट करके जरूर बताइए कि आपको छत्तीसगढ़ की कौन सी जानकारी चाहिए ताकि हम जल्द से जल्द आप तक वह जानकारी पहुंचा सके।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ