Sanvidhan bhag 2
नागरिकता
संविधान के भाग -2 में अनुच्छेद 5 से 11 तक में नागरिकता के बारे में चर्चा की गई है ।
नागरिकता की पहचान पासपोर्ट से होती हैं । यदि आप किसी देश का पासपोर्ट धारण करते हैं या धारण करने की योग्यता रखते तो आप उस देश के नागरिक होंगे ।
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संविधान भाग -2 |
भारत में नागरिकता की प्रकृति → भारत में एकल नागरिकता पाई जाती है । अर्थात भारत के सभी लोग भारतीय नागरिक होंगे न कि विभिन्न राज्य के नागरिक । भारतीय संविधान में इस एकल नागरिकता को ब्रिटेन से लिया गया है ।
हालांकि जम्मू - कश्मीर अपवाद था जो अपने राज्यों नागरिको को जम्मू - कश्मीर की नागरिकता प्रदान करता था । पर वर्तमान में इस कानून में महत्त्वपूर्ण बदलाव हुए है। अब जम्मू कश्मीर के लोगो को भी एकल नागरिकता मिल गई हैं।
अमेरिका , स्विटजरलैण्ड में दोहरी नागरिकता को अपनाया गया है । अर्थात अमेरिका के किसी राज्य का व्यक्ति उस राज्य का नागरिक होगा फिर अमेरिका का ।
हमारे संविधान में संविधान निर्माण होने तक अर्थात 26 नवम्बर 1949 तक कौन - कौन भारतीय नागरिक होगा सिर्फ इसका उल्लेख किया गया है । इसके बाद के नागरिकता का उल्लेख नागरिकता अधिनियम , 1955 में किया गमा हैं।
संविधान के लागु होने तक कौन कौन से लोग भारत के नागरिक होंगे इसका उल्लेख अनुच्छेद 5 , 6 , 7, 8 मे किया गया है ।
अनुच्छेद 5 के अनुसार कोई व्यक्ति यदि उसका जन्म भारत में हुआ हो , या उसके माता - पिता में से किसी एक का जन्म भारत में हो या वह संविधान लागु होने से पाँच वर्ष पूर्व से भारत में रह रहा हो तो वह भारत का नागरिक होगा ।
अनुच्छेद 6 के अनुसार
• यदि कोई व्यक्ति 1 जुलाई 1948 से पहले पाकिस्तान से भारत आ जाता है और उसके बाद लगातार भारत में रहता हो तो वह भारत का नागरिक होगा ।
• यदि कोई व्यक्ति 19 जुलाई 1948 से पूर्व पाकिस्तान चला जाता हो और किसी कारण वश पुन : को या उसके बाद भारत लाटना चाहता हो तो 19 जुलाई 1948 तक आज्ञापत्र के दारा भारत का नागरिक बन सकता हैं।
अनुच्छेद 7 के अनुसार एक व्यक्ति जो 1 मार्च 1947 के बाद भारत से पाकिस्तान चला गया हो लेकिन बाद में फिर भारत में रहने के लिए वापस आए तो वह भारत का नागरिक बन सकता है [ संविधान लागु होने से पूर्व तक वह भारत वापस आया हो ]
अनुच्छेद 8 के अनुसार कोई व्यक्ति जिसके माता - पिता अविभाज्य भारत में पैदा हुए हो लेकिन वह भारत के बाहर रह रहा हो तो वह भारत का नागरिक बन सकता है यदि उसने उस देश में रह रहे भारतीय राजदूत से भारतीय नागरिकता के लिए पंजीकरण कूटनीति तरीके से आवेदन किया हो ।
अनुच्छेद 9 के अनुसार वह व्यक्ति जिसने स्वेच्छा से किसी देश की नागरिकता ग्रहण कर ली हैं तो वह भारत का नागरिक नही माना जाएगा ।
अनुच्छेद 11 के अनुसार संसद नागरिकता से सम्बंधित किसी भी विषय पर कानून बना सकता हैं । अनुच्छेद 11 का प्रयोग कर के संविधान लागु होने के बाद कौन से लोग भारतीय नागरिक होंगे इसको सुनिश्चित करने के लिए नागरिकता अधिनियम , 1955 बनाया गया ।
नागरिकता अधिनियम 1955 द्वारा नागरिकता प्राप्त करने के लिए 5 आधार सुनिश्चित किस गए है
1.जन्म आधार पर ( By Birth )
2. वंश के आधार पर( By Descent )
3. पंजीकरण के आधार पर ( By Registration )
4. प्राकृतिक द्वारा ( By Naturalization )
5. क्षेत्र अर्जन के आधार पर ( By Incorporation of Tennitory )
1.जन्म के आधार पर → भारत में 26 जनवरी 1950 को या उसके बाद परन्तु 1 जुलाई 1987 से पूर्व जन्मा व्यक्ति अपने माता - पिता की नागरिकता केे बिना भी भारत का नागरिक होगा ।
1 जुलाई 1987 के बाद परन्तु 3 दिसम्बर 2004 से पूर्व भारत में जन्मा व्यक्ति केवल तभी भारत का नागरिक माना जाएगा यदि उसके जन्म के समय उसके माता- पिता में से कोई एक भारत का नागरिकता प्राप्त किया हो। यदि किसी व्यक्ति का जन्म 3 दिसम्बर 2004 के बाद हुआ हो तो वह उसी दशा में भारत का नागरिक माना जाएगा यदि उसके जन्म के समय उसके माता - पिता दोनो भारत के नागरिक हो या माता या, पिता में से एक उस समय भारत का नागरिक हो तथा दूसरा अवैध प्रवासी न हो ।
2. वंश के आधार पर → यदि कोई व्यक्ति 26 जनवरी 1950 को या उसके बाद, परंतु 10 दिसम्बर 1992 से पहले भारत के बाहर अर्थात विदेश में जन्मा हो तो वह वंश के आधार पर भारत का नागरिक होगा यदि उसके जन्म के समय उसका पिता भारत का नागरिक हो ।
10 दिसम्बर 1992 तथा 3 दिसम्बर 2004 बीच विदेश में जन्मा व्यक्ति तभी भारत का वंश के आधार पर नागरिक होगा यदि उसके जन्म के समय उसके माता - पिता में से कोई एक भारत का नागरिक हो।
3 दिसम्बर 2004 के बाद भारत के बाहर जन्मा कोई व्यक्ति वंश के आधार पर भारत का नागरिक नही हो सकता यदि उसके जन्म के एक वर्ष के भीतर भारतीय कांसुलेट में उसके जन्म का पंजीकरण न करा दिया गया हो । [किसी एक माता मा पिता को भारत का नागरिक होना चाहिये ]
3. पंजीकरण के आधार पर →
यदि कोई व्यक्ति पंजीकरण आधार पर भारत की नागरिकला पाना चाहता है तो उसे आवेदन से सात वर्ष पूर्व से भारत में रहना अनिवार्य है ।
कोई व्यक्ति जो पूरी आयु तथा क्षमता का हो तथा उसके माता पिता स्वतंत्र भारत के नागरिक रुप में पंजीकृत हो तो वह भारत का नागरिक बन सकता है यदि वह पंजीकरण के आवेदन से 12 महीने पूर्व से भारत में रह रहा हो ।
भारत के नागरिक के नाबालिग बच्चे इस आधार पर नागरिकता ले सकते हैं।
4.प्राकृतिक आधार पर -
यदि कोई व्यक्ति भारत में रह रहा हो ( 12 वर्ष या उससे अधिक वर्षों से ) और उसे भारतीय संस्कृति आदि से लगाव हो गया हो तथा उसकी भारतीय संविधान के प्रति निष्टा हो , और वह ऐसे देश का नागरिक न हो जहां भारतीय को नागरिकता न दी जाती हो , आठवी अनुसूची में वर्णित किसी एक भाषा का ज्ञाता हो आदि, तो वह प्राकृतिक आधार पर भारत का नागरिक बन सकता है ।
इस आधार पर नागरिकता के लिए उसे अपने देश की नागरिकता छोड़नी होनी होगी ।
5. क्षेत्र अर्जन के आधार पर किसी विदेशी क्षेत्र द्वारा भारत का हिस्सा बनने पर भारत सरकार उस क्षेत्र से संबंधित व्यक्तियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करती है।
जैसे जब पुदुचेरी भारत का हिस्सा बना तो उस क्षेत्र के लोगो को भारत की नागरिकता दी गई ।
भारतीय नागरिकता की समाप्ति ( 1955 अधिनियम में इसका भी वर्णन है। )
1.स्वेच्छा से :-
यदि कोई व्यक्ति स्वेच्छा से भारतीय नागरिकता त्याग दे तो वह भारत का नागरिक नही रह जाएगा हलाकि सरकार के ऊपर निर्भर करता है कि वह स्वेच्छा से त्यागने को स्वीकार करे या नहीं ।
2.बर्खास्तगी के द्वारा
यदि भारतीय नागरिक स्वेच्छा से किसी अन्य देश की नागरिकता ग्रहण कर ले तो उसकी भारतीय नागरिकता स्वंय बर्खास्त हो जाएगी ।
3.वंचित करने के द्वारा
यदि कोई नागरिक शत्रु देश का साथ दे , संविधान के प्रति अनादर व्यवहार , फर्जी तरीके से नागरिकता प्राप्त किया हो , पंजीकरण या प्राकृतिक नागरिकता के पाँच वर्ष के दौरान किसी देश में दो वर्ष कैद में रहो हो तो भारत सरकार इसकी नागरिकता रद्द कर देगी ।
अप्रावसी भारतीय- NRI
भारतीय नागरिक जो साधारणत : भारत के बाहर निवास करता हो और जिसके पास भारतीय पासपोर्ट हो ।
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