संघ एवं इसका राज्य क्षेत्र
संविधान के भाग 1 में अनुच्छेद 1 से 4 तक संघ एवं इसके क्षेत्रों का उल्लेख है ।
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Sanvidhan bhag 1 |
अनुच्छेद 01 के अनुसार
इंडिया यानी भारत ' राज्यों का संघ ' होगा । राज्यों का संघ'से तात्पर्य हैं राज्यों के क्षेत्र ( वर्तमान के 28 राज्य ) और वर्तमान के 7 के शा . प्रदेश। या ऐसे क्षेत्र जिन्हें किसी भी समय भारत सरकार द्वारा अधिग्रहित लिया जा सकता है।
भारत में संविधान लागू होने के बाद कुछ विदेशी राज्य दादर और नागर हवेली , गोवा, दमन - दीव , पदूचेरी एवं सिक्किम का अधिग्रहण लिया जिन्हे राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा दे दिया गया ।
(राज्य + के.शा. प्रदेश + भारत द्वारा विजित)
भारत या इंडिया → राज्यों एवं संघ शासित राज्यों के नाम , उनके क्षेत्र विस्तार को संविधान की पहली अनुसूची में दर्शाया गया है ।
भारतीय संघ, राज्यों के बीच कोई समझौते का परिणाम नही है यह संघ है जो विभिन्न राज्यों में सुविधा [ प्रशासनिक सुविधा के लिए बटा हुआ है] | राज्यों को संघ से विभक्त होने का कोई अधिकार नही ।
अनुच्छेद 02 के अनुसार
संसद विधि द्वारा ऐसे निबधनों और शर्तों पर , जो वह ठीक समझे , संघ में नए राज्यों का प्रदेश या नए राज्यों की स्थापना कर सकेगी । अतः संसद अनु .2 के माध्यम भारत संघ में उन राज्यों को प्रवेश दिला सकता जो भारत के भाग नही रहे ।
उदाहरण- अजादी तक पहले सिक्किम भारत का हिस्सा नही था । 1975 में अनु २ के माध्यम से ही सिक्किम भारत और भारतीय संघ में ( 36 + संविधान संशोधन दारा ) शामिल हुआ।
अनुच्छेद 3 के अनुसार
भारतीय संघ के राज्यों की पुनर्गठन ही व्यवस्था करता है । इस अनुच्छेद के अनुसार संसद ( i ) किसी राज्य मे से उसका राज्यक्षेत्र अलग करके अथवा दो या उससे अधिक राज्यो या राज्यों के भागों को मिलाकर अथवा किसी राज्य के भाग के साथ मिलाकर नए राज्य का निर्माण कर सकेगी । ( ii ) किसी राज्य के क्षेत्र को घटा या बढ़ा सकती हैं ।(iii) किसी राज्य के सीमामों में परिवर्तन या राज्य के नाम में परिवर्तन कर सकती है । ( iv ) इसके अतिरिक्त संसद किसी राज्य या संघ क्षेत्र के किसी भाग को किसी अन्य राज्य या संघ क्षत्र में मिलाकर नये राज्य या संघ क्षेत्र का निर्माण कर सकती है ।
18 वाँ संविधान संसोधन द्वारा यह प्रावधान लिया गया ।
अनुच्छेद २ और 3 के तहत अपनायी जाने वाली प्रक्रिया →
नए राज्यों का प्रवेश या गठन अनुच्छेद 2 और अनुच्छेद 3 में वर्णित नियम के अनुसार होगा।
(I) सर्वप्रथम विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजना होगा ।
( ii ) राष्ट्रपति की मंजरी के बाद ही इस विधेयक को संसद में ( लोक या राज्य सभा , किसी में भी ) पेश किया जा सकता है ।
इस विधेयक को संबंधित राज्यों के विधान मण्डलो में भी उनका मत जानने के लिए भेजा जाता है , किन्तु संसद राज्य विधानमडल के मत को मानने के लिए बाध्य नहीं होता । संसद राज्य के मत को स्वीकार या अस्वीकार कुछ भी कर सकता ।
संसद में बहुमत से पारित होने तथा राष्ट्रपति के हस्ताक्षर बाद नए राज्यो प्रवेश या राज्य के पुनर्गठन की प्रक्रिया पूरी की जाती है ।
अनुच्छेद 04 के अनुसार
नये राज्यों का प्रवेश या गठन ( अनु- 02 ) , नए राज्यों के निर्माण , सीमाओ का और नामों में परिवर्तन को संविधान के अनुच्छेद 368 के तहत संसोधन नही माना जायेगा।
नोट : - उच्चतम न्यायालय के अनुसार संसद की शक्तियाँ राज्यों की सीमा समाप्त करने और भारतीय क्षेत्र को अन्य देश को देने की नहीं है । यह कार्य अनुच्छेद 368 के तहत संसोधन कर किया जा सकता है । इसी के आधार पर 1960 में बेरूवाड़ी संघ ( पश्चिम बंगाल ) को 9वे संविधान संशोधन द्वारा पाकिस्तान की सौंपा गमा था ।
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